‘उत्तराखंड भाषा संस्थान’ के माध्यम से हिंदी और दूसरी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम जारी – सीएम

‘उत्तराखंड भाषा संस्थान’ के माध्यम से हिंदी और दूसरी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम जारी – सीएम

ब्यूरो

Posted no : 14/09/2025

देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को हिंदी दिवस के मौके पर आई०आर०डी०टी० सभागार, देहरादून में आयोजित ‘उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान समारोह’ में प्रतिभाग किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश और देश भर से आए साहित्यकारों, कवियों और भाषा प्रेमियों को संबोधित किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा को मरणोपरान्त “उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान 2025” से सम्मानित किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सोमवारी लाल उनियाल, अतुल शर्मा को भी उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने वाले महान साहित्यकारों को ‘दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने उन सभी साहित्य साधकों को शुभकामनाएँ दीं जो अपनी रचनात्मकता से सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के माध्यम से राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने के लिए ठोस कार्य कर रही है। सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए भी सतत प्रयास कर रही हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी समृद्ध भाषायी विरासत से जुड़ी रहें।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, शैलेश मटियानी, गिर्दा, शेर दा ‘अनपढ़’ और ‘हिरदा’ जैसे रचनाकारों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि इस सभी ने उत्तराखण्ड के जीवन, संघर्ष और संस्कृति को अपनी रचनाओं में जीवंत किया है। समकालीन रचनाकारों में अतुल शर्मा, प्रसून जोशी, और उनियाल जी जैसे साहित्यकार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि “उत्तराखण्ड भाषा संस्थान” के माध्यम से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के विकास हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा ‘उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान’, ‘साहित्य भूषण’, ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है और नई पीढ़ी के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।

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