ग्लोबल इन्वेस्टर समिट: वेड इन इंडिया मूवमेंट चलाकर उत्तराखंड में करें डेस्टिनेशन वेडिंग – मोदी

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट: वेड इन इंडिया मूवमेंट चलाकर उत्तराखंड में करें डेस्टिनेशन वेडिंग  – मोदी

ब्यूरो

Posted no : 08/12/2023

देहरादून।
डेस्टिनेशन उत्तराखंड‘ ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगाज किया। दो दिनों तक चलने वाल समिट में देश और दुनिया के दिग्गज उद्योगपति शामिल होने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे हुए हैं। मंच से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा की सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेस्टिनेशन वेडिंग की नई परंपरा पर बात करते हुए कहा कि देश के कई धनपति विदेश में जाकर डेस्टिनेशन वेडिंग करते हैं अगर ये सभी अमीर लोग उत्तराखंड की वादियों और देवताओं के आशीर्वाद के बीच डेस्टिनेशन वेडिंग करें तो इससे प्रदेश में एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पूरे देश में थीम बेस्ड पर्यटन शुरू कर रहे हैं जिसमें उत्तराखंड राज्य एक बड़ा ब्रांड बनकर उभरने वाला है। उन्होंने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के जरिए अलग-अलग क्षेत्र में कारोबार के लिए निवेश करने वाले सभी इंडस्ट्रियलिस्ट को बधाई दी।

उत्तराखंड में कारोबार के अनुकूल वातावरण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात के सीएम रहते हुए ’’वाईब्रेंट गुजरात’’ नाम से इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन शुरू किया गया था, उसी से प्रेरित होकर राज्य सरकार ने ’’डेस्टिनेशन उत्तराखंड’’ की थीम पर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया है। हमारी कोशिश रहेगी कि हर 2 वर्ष के अंतराल में इस समिट का आयोजन हो। “डेस्टिनेशन उत्तराखंड” का मुख्य उद्देश्य, ग्रीन इकोनॉमी और रोजगार को लेकर इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय द्वारा राज्य का समग्र विकास करना है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ढाई लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों को प्राप्त करने का लक्ष्य था, अभी तक लक्ष्य से अधिक के निवेश प्रस्तावों पर करार हो गये हैं। इनमें से अब तक 44 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इससे प्रदेश में स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि एक निवेशक को अच्छा व्यावसायिक वातावरण, अच्छी कानून व्यवस्था, इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली नीतियाँ और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य और आबोहवा भी चाहिए।

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