चिन्हित ग्लेशियरों का होगा अध्ययन, यूएसडीएमए ने भू वैज्ञानिकों के साथ की मीटिंग

चिन्हित ग्लेशियरों का होगा अध्ययन, यूएसडीएमए ने भू वैज्ञानिकों के साथ की मीटिंग

ब्यूरो

Posted no : 03/01/2025

 

देहरादून।
उत्तराखण्ड में स्थित ग्लेशियर झीलों के व्यापक अध्ययन और इनकी नियमित निगरानी के लिए उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। इस संबंध में शुक्रवार को सचिव, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में सचिवालय में विभिन्न केंद्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि उत्तराखण्ड में 13 ग्लेशियर झीलें चिन्हित की गई हैं। इनमें से पांच श्रेणी-ए में हैं। उन्होंने बताया कि बीते साल एक दल ने चमोली जनपद के धौली गंगा बेसिन स्थित वसुधारा झील का सर्वे किया है। इस दल में यूएसडीएमए, आईआईआरएस, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ तथा आईटीबीपी के प्रतिनिधि शामिल थे।

उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ जनपद में स्थित श्रेणी-ए की शेष चार झीलों का सर्वे वर्ष 2025 में करने का लक्ष्य तय किया गया है। यूएसडीएमए, समन्वयक की भूमिका निभाते हुए ग्लेशियर झीलों पर कार्य करने वाले विभिन्न शोध संस्थानों को आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा। ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर एक फुलप्रूफ सिस्टम विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि ग्लेशियर झीलों के अध्ययन के लिए विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों को जो भी सहयोग की जरूरत होगी, वह यूएसडीएमए उपलब्ध कराएगा। यूएसडीएमए विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों को एक मंच पर लाना चाहता है, ताकि ग्लेशियर झीलों पर व्यापक अध्ययन किया जा सके। उन्होंने बताया कि ग्लेशियर झीलों के सर्वे के लिए वाटर लेवल सेंसर, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, थर्मल इमेजिंग आदि अन्य आवश्यक उपकरणों को स्थापित किया जाएगा।

वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. डोभाल ने कहा कि ग्लेशियर झीलों के स्वरूप व प्रकृति का अध्ययन करना बहुत जरूरी है। अगर इनकी लगातार मॉनिटरिंग हो और सुरक्षात्मक उपाय भी साथ-साथ किए जाएं तो संभावित खतरे को न्यून किया जा सकता है।

इस दौरान बैठक में आईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल, वित्त नियंत्रक अभिषेक आनंद, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, यू-प्रीपेयर के परियोजना निदेशक एसके बिरला आदि मौजूद रहे।

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